इस दुनिया की हर वस्तु ईश्वर ने किसी प्रकार के उपयोग के लिए ही उत्पन्न की है चाहे वह चीज़ छोटी हो या बड़ी हो उसमे किसी प्रकार की उपयोगिता रहती ही है | ज्योतिष शास्त्र हजारो वर्ष पूर्व ऋषिमुनियो द्वारा बनाया गया था इस की उपयोगिता भी सिद्ध हो चुकी है | ज्योतिष का ज्ञान परमपवित्र , रहस्यमय और सभी वेदांगो में श्रेष्ठ कहा गया है | हम यह बात भी सिद्ध कर सकते है की ज्योतिष का जन्म सभी विज्ञानो के पूर्व हुआ और इस मान से ज्योतिष अन्य सभी विज्ञानो का पिता है |
संसार के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी फलित ज्योतिष एवं मनुष्य पर ग्रहो के प्रभाव के बारे में अपना संकेत प्रकट किया है |
ज्योतिष एक विज्ञान है तथा ज्योतिष को इन्होने एक विज्ञान की दृष्टि से समझा है , क्योकी वे स्वयं साइंस (मैथ्स) के छात्र रहे और उसके बाद इंजीनियरिंग की शिक्षा पूर्ण करने के बाद " एस्ट्रोलॉजी साइंस " विषय की और इनकी रूचि बड़ी और इसके गहन अध्यन में चले गए | जन्मकुंडली के गहन अध्ययन करने की जितनी पद्धति होती है उसका ज्ञान प्राप्त किया लहरी पद्धति, पाराशरी पद्धति, कृष्णमूर्ति पद्धति, अष्टक वर्ग पद्धति, जैमेनी पद्धति, एवं लाल किताब छह पद्धति का गहन अध्ययन होने के बाद आज वे गणना करते वक़्त छह पद्धति का इस्तेमाल करके सूक्ष्म गणना करते है | इसी प्रकार वास्तु विज्ञान में ग्रह वास्तु एवं कार्यस्थल वास्तु का सूक्ष्म अध्ययन आपकी जन्म कुंडली से मिला कर करते है जिससे आपको उसके सटीक परिणामो का लाभ हो सके उसी प्रकार अंक ज्योतिष की गणना वे आपकी जन्मकुंडली की सूक्ष्म गणना के आधार पर अंक की गणना करते है , जिससे आप को सटीक परिणामो का लाभ हो सके | आचार्य डॉ.दिनेश कागराजी ज्योतिष-रत्न,ज्योतिष-भूषण ,ज्योतिष-प्रभाकर, ज्योतिष-ऋषि,ज्योतिष-शास्त्राचार्य,वास्तु-रत्न,वास्तु -शास्त्राचार्य,अंक-ज्योतिषाचार्य ,इत्यादि से अलंकृत हैं..और विगत 21 वर्षो से लगातार ज्योतिष के क्षेत्र में सफलता पूर्वक कार्यरत हैं तथा इस अवधि में लाखोंं जातको को लाभ पंहुचा चुके हैं |